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Draft:औपनिवेशिक भारत में प्रतिबंधित साहित्य

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औपनिवेशिक भारत में प्रतिबंधित साहित्य का तात्पर्य उन तमाम साहित्यिक दस्तावेजों से है जो भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिए गए। इन साहित्यिक दस्तावेजों में प्रायः ऐसी किताबें, पैमफ्लेट, पत्रिकाएं, पोस्टर आदि शामिल हैं जिनका संबंध भारत में स्वाधीन चेतना के विकास से था। सन् 1976 में प्रकाशित एन.जेराल्ड बैरीयर की किताब 'बैण्ड कॉन्ट्रोवर्शियल लिटरेचर एण्ड पोलिटिकल कंट्रोल इन ब्रिटिश इण्डिया 1907-1947' (BANNED CONTROVERSIAL LITERATURE AND POLITICAL CONTROL IN BRITISH INDIA 1907-1947) के अनुसार 1907 से लेकर 1947 के बीच तमाम भारतीय भाषाओं में लगभग 3900 से अधिक किताबें एवं पत्रिकाएं प्रतिबंधित हुई। इन भाषाओं में बांग्ला, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, असमिया हिन्दी, उर्दू, अँग्रेजी एवं अन्य भारतीय भाषाएं शामिल हैं। हिन्दी में सबसे अधिक लगभग 1391 किताबें प्रतिबंधित हुई।[1] ब्रिटिश भारत की औपनिवेशिक सरकार ने न केवल भारत की स्वाधीनता से संबंधित किताबों को प्रतिबंधित किया अपितु विश्व के किसी भी देश के स्वाधीनता आंदोलन से संबंधित किसी भी प्रकार की सामग्री को, अन्य क्रांतिकारी साहित्य तथा मार्क्सवादी साहित्य से संबंधित सामग्री को भी प्रबंधित किया। [2] बैरीयर लिखते हैं "1910 के प्रेस अधिनियम पर बढ़ती निर्भरता ने एक और प्रतिरूप निर्मित किया। 1910 से 1918 के बीच अंग्रेजों ने एक हज़ार से अधिक व्यक्तिगत शीर्षकों पर प्रतिबंध लगा दिया..."[1]

References

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  1. ^ Barrier, N. Gerald (1976). Banned Controversial Literature And Political Control In British India 1907-1947. Retrieved 25 September 2024.