User talk:Safemann
Welcome
[edit]Welcome!
Hello, Safemann, and welcome to Wikipedia! Thank you for your contributions. I hope you like the place and decide to stay. Here are some pages that you might find helpful:
- The five pillars of Wikipedia
- Tutorial
- How to edit a page and How to develop articles
- How to create your first article (using the Article Wizard if you wish)
- Manual of Style
I hope you enjoy editing here and being a Wikipedian! Please sign your messages on discussion pages using four tildes (~~~~); this will automatically insert your username and the date. If you need help, check out Wikipedia:Questions, ask me on my talk page, or ask your question on this page and then place {{helpme}}
before the question. Again, welcome!
Rd232 talk 11:24, 9 May 2010 (UTC)
Interwiki links
[edit]Hi, please be careful when updating interwiki links from German wikipedia not to replace the de: link with an en: link on the English page. An en: link obviously makes no sense on English wikipedia, and we don't want to lose the link to the German page. cheers, Rd232 talk 11:26, 9 May 2010 (UTC)
July 2010
[edit]Welcome to Wikipedia. Everyone is welcome to contribute constructively to the encyclopedia. However, please do not add promotional material to articles or other Wikipedia pages, as you did to Micro air vehicle. Advertising and using Wikipedia as a "soapbox" is against Wikipedia policy and not permitted. Take a look at the welcome page to learn more about Wikipedia. Thank you. Binksternet (talk) 00:41, 22 July 2010 (UTC)
chandan kumar
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CHANDAN KUMAR RAJ,. B. TECH (CSE),. STUDENT संगठित भारतीय सशक्त भारत Owner नरेंद्र दामोदर दास मोदी चमार जाति का गौरवशाली इतिहास, कौन हैं ये लोग सिकन्दर लोदी (1489-1517) के शासनकाल से पहले पूरे भारतीय इतिहास में 'चमार' नाम की किसी जाति का उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम चमार जाति से संबोधित करते हैं और जिनके साथ छूआछूत का व्यवहार करते हैं, दरअसल वह वीर चंवर वंश के क्षत्रिय हैं | जिन्हें सिकन्दर लोदी ने चमार घोषित करके अपमानित करने की चेष्टा की | भारत के सबसे विश्वसनीय इतिहास लेखकों में से एक विद्वान कर्नल टाड को माना जाता है जिन्होनें अपनी पुस्तक द हिस्ट्री आफ राजस्थान में चंवर वंश के बारे में विस्तार से लिखा है | प्रख्यात लेखक डॅा विजय सोनकर शास्त्री ने भी गहन शोध के बाद इनके स्वर्णिम अतीत को विस्तार से बताने वाली पुस्तक हिन्दू चर्ममारी जाति एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास" लिखी | महाभारत के अनुशासन पर्व में भी इस राजवंश का उल्लेख है | डॉ शास्त्री के अनुसार प्राचीनकाल में न तो चमार कोई शब्द था और न ही इस नाम की कोई जाति ही थी | अर्वनाइजेशन' की लेखिका डॉ हमीदा खातून लिखती हैं मध्यकालीन इस्लामी शासन से पूर्व भारत में चर्म एवं सफाई कर्म के लिए किसी विशेष जाति का एक भी उल्लेख नहीं मिलता है | हिंदू चमड़े को निषिद्ध व हेय समझते थे | लेकिन भारत में मुस्लिम शासकों के आने के बाद इसके उत्पादन के भारी प्रयास किए गये थे | डॅा विजय सोनकर शास्त्री के अनुसार तुर्क आक्रमणकारियों के काल में चंवर राजवंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में था और इसके प्रतापी राजा चंवरसेन थे | इस क्षत्रिय वंश के राज परिवार का वैवाहिक संबंध बाप्पा रावल वंश के साथ था | राणा सांगा व उनकी पत्नी झाली रानी ने चंवरवंश से संबंध रखने वाले संत रैदासजी को अपना गुरु बनाकर उनको मेवाड़ के राजगुरु की उपाधि दी थी और उनसे चित्तौड़ के किले में रहने की प्रार्थना की थी | संत रविदास चित्तौड़ किले में कई महीने रहे थे | उनके महान व्यक्तित्व एवं उपदेशों से प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें गुरू माना और उनके अनुयायी बने | उसी का परिणाम है आज भी विशेषकर पश्चिम भारत में बड़ी संख्या में रविदासी हैं | राजस्थान में चमार जाति का बर्ताव आज भी लगभग राजपूतों जैसा ही है | औरतें लम्बा घूंघट रखती हैं आदमी ज़्यादातर मूंछे और पगड़ी रखते हैं | संत रविदास की प्रसिद्धी इतनी बढ़ने लगी कि इस्लामिक शासन घबड़ा गया सिकन्दर लोदी ने मुल्ला सदना फकीर को संत रविदास को मुसलमान बनाने के लिए भेजा वह जानता था की यदि रविदास इस्लाम स्वीकार लेते हैं तो भारत में बहुत बड़ी संख्या में इस्लाम मतावलंबी हो जायेगे लेकिन उसकी सोच धरी की धरी रह गयी स्वयं मुल्ला सदना फकीर शास्त्रार्थ में पराजित हो कोई उत्तर न दे सका और उनकी भक्ति से प्रभावित होकर अपना नाम रामदास रखकर उनका भक्त वैष्णव (हिन्दू) हो गया | दोनों संत मिलकर हिन्दू धर्म के प्रचार में लग गए जिसके फलस्वरूप सिकंदर लोदी आगबबूला हो उठा एवं उसने संत रैदास को कैद कर लिया और इनके अनुयायियों को चमार यानी अछूत चंडाल घोषित कर दिया | उनसे कारावास में खाल खिचवाने, खाल-चमड़ा पीटने, जुती बनाने इत्यादि काम जबरदस्ती कराया गया उन्हें मुसलमान बनाने के लिए बहुत शारीरिक कष्ट दिए | लेकिन उन्होंने कहा :- वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान, फिर मै क्यों छोडू इसे, पढ़ लू झूठ कुरान. वेद धर्म छोडू नहीं, कोसिस करो हज़ार, तिल-तिल काटो चाहि, गोदो अंग कटार (रैदास रामायण) संत रैदास पर हो रहे अत्याचारों के प्रतिउत्तर में चंवर वंश के क्षत्रियों ने दिल्ली को घेर लिया | इससे भयभीत हो सिकन्दर लोदी को संत रैदास को छोड़ना पड़ा था | संत रैदास का यह दोहा देखिए :- बादशाह ने वचन उचारा | मत प्यारा इसलाम हमारा || खंडन करै उसे रविदासा | उसे करौ प्राण कौ नाशा || जब तक राम नाम रट लावे | दाना पानी यह नहींपावे || जब इसलाम धर्म स्वीकारे | मुख से कलमा आपा उचारै || पढे नमाज जभी चितलाई | दाना पानी तब यह पाई || समस्या तो यह है कि आपने और हमने संत रविदास के दोहों को ही नहीं पढ़ा, जिसमें उस समय के समाज का चित्रण है जो बादशाह सिकंदर लोदी के अत्याचार, इस्लाम में जबरदस्ती धर्मांतरण और इसका विरोध करने वाले हिंदू ब्राहमणों व क्षत्रियों को निम्न कर्म में धकेलने की ओर संकेत करता है | चंवर वंश के वीर क्षत्रिय जिन्हें सिकंदर लोदी ने 'चमार' बनाया और हमारे-आपके हिंदू पुरखों ने उन्हें अछूत बना कर इस्लामी बर्बरता का हाथ मजबूत किया | इस समाज ने पददलित और अपमानित होना स्वीकार किया, लेकिन विधर्मी होना स्वीकार नहीं किया आज भी यह समाज हिन्दू धर्म का आधार बनकर खड़ा है | आज भारत में 23 करोड़ मुसलमान हैं और लगभग 35 करोड़ अनुसूचित जातियों के लोग हैं | जरा सोचिये इन लोगों ने भी मुगल अत्याचारों के आगे हार मान ली होती और मुसलमान बन गये होते तो आज भारत में मुस्लिम जनसंख्या 50 करोड़ के पार होती और आज भारत एक मुस्लिम राष्ट्र बन चुका होता | यहाँ भी जेहाद का बोलबाला होता और ईराक, सीरिया, सोमालिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आदि देशों की तरह बम-धमाके, मार-काट और खून-खराबे का माहौल होता | हम हिन्दू या तो मार डाले जाते या फिर धर्मान्तरित कर दिये जाते या फिर हमें काफिर के रूप में अत्यंत ही गलीज जिन्दगी मिलती | Chandankumar.in (talk) 09:34, 27 February 2017 (UTC) |
आपके लिए एक बार्नस्टार!
[edit]शिष्टाचार बार्नस्टार | |
समय और समझ दोनों एक साथ खुशकिस्मत लोगों को ही मिलते हैं, क्योंकि अक्सर समय पर समझ नहीं आती, और समझ आने पर समय निकल जाता है Chandankumar.in (talk) 10:01, 27 February 2017 (UTC) |
chandan kumar
[edit]chandan kumar | |
किसी भी मनुष्य की वर्तमान स्थिति देखकर उसके भविष्य का उपहास मत उड़ाओ। क्योंकि काल में इतनी शक्ति है कि वो एक साधारण से कोयले को भी धीरे-धीरे हीरे में बदल देता है। Chandankumar.in (talk) 10:04, 27 February 2017 (UTC) |
chandan kumar raj
[edit]chandan kumar raj | |
तुम पानी जैसे बनो, जो अपना रास्ता खुद बनाता है। पत्थर जैसे ना बनो, जो दूसरों का भी रास्ता रोक लेता है। Chandankumar.in (talk) 10:16, 27 February 2017 (UTC) |
chandan kumar raj GAYA
[edit]chandan kumar raj GAYA | |
जिंदगी में हमेशा उड़ने की कोशिश कीजिये,
उड़ नहीं सकते तो दौड़ने की कोशिश कीजिये, दौड़ नहीं सकते तो चलने की कोशिश कीजिये, चल नहीं सकते तो खिसकने की कोशिश कीजिये, क्योंकि एक स्थान पर रह कर आप जिंदगी में आगे नहीं जा सकते, यही जिंदगी का सच है। Chandankumar.in (talk) 10:33, 27 February 2017 (UTC) |
chandan kumar raj
[edit]chandan kumar raj | |
बिना संस्कार के ज्यादा पढ़ाई बहुत खतरनाक हो जाती है। कम पढ़े लिखे तो छोटे-छोटे भ्रष्टाचार करते हैं, पर पढ़े-लिखे तो लाखों-करोड़ो हजम कर जाते हैं। Chandankumar.in (talk) 10:40, 27 February 2017 (UTC) |