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User:UmarSultanpuri

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Umar Sultanpuri

उमर सुल्तानपुरी की शायरी :

(1) इश्क के बाज़ार में कभी जाकर के तो देखो , इश्क गर करना है तो किसी दिल लगा कर के तो देखो | इश्क के समन्दर में इस कदर डूब जाओगे, उससे कभी हाथ मिला कर के तो देखो ||

(2) जब उससे मैं पहली बार बोल हूँ , तभी मैं अपना दिल भी शान से खोला हूँ | उसके दरवाज़े को मैं अक्सर देखता हूँ , जब वो बाहर आती,तब मैं वहाँ से डोला हूँ ||