User:Shilpa73018
- एहसास**
मन के गहरे कोने में, एक एहसास बसा है, नर्म धूप की तरह, दिल में हल्का सा छा है।
शब्दों से परे, आंखों में जो बात कहे, दिल की हर धड़कन में, ये सुकून से बहे।
कभी खुशी की बारिश में, कभी दर्द की हवाओं में, कभी यादों की गलियों में, ये चुपके से बहता है।
रात की तन्हाई में, चांद की रौशनी में, तारों के बीच चमकता, एक अहसास रहस्य में।
कभी छू के निकल जाए, कभी रुला के चला जाए, कभी हंसा कर गुदगुदा दे, कभी खुद में खो जाए।
हर इंसान के दिल में, कभी प्यार, कभी बेबसी, कभी उम्मीद, कभी चाहत, ये एहसास है एक कहानी।
ये एहसास है वो साया, जो कभी दिखता नहीं, पर छूता है ऐसे, जैसे हवा में रंग हो कोई।
खामोशियों में छुपा हुआ, ये कभी बात करता है, कभी गहराई में डूबा हुआ, मन के हर रंग को भरता है।
दूरियों में नज़दीक सा, पलकों के कोनों में ठहरा सा, हर पल, हर सांस में, एक नर्म एहसास है छिपा सा।
यह जीवन का रंग है, हर आंसू, हर हंसी में, हर लम्हे में जो है, वो एहसास ही तो है।
- - अंत**
शिल्पा ,
श्री रणबीर परिसर, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, कोट भदवाल, जम्मू द्वितीय वर्ष शिक्षा शास्त्री