User:Sanjay Shita
संध्या वंदन मित्रों श्री ध्दतात्रेय महाराज के पावन दर्शनो के साथ ॐ द्धत द्धतात्रेय नमः
- द्धत द्धतात्रेय महाराज बुशैहर रियासत के सभी देवी-देवताओं में #गुरपद से सम्मानित और (ran of god) नाम से #शुशोभित ,पांच घोड़ी के मालिक बधाल से लेकर #नोगली तक जिनका राज है#10/100 खुद के कुल इष्ट देव।
नाथ सम्प्रदाय और पंच दंश नाम जूना अखाड़े (नागा साधुऔं)के अराध्य देव। माता #अनुसूया और
- महर्षिअत्रि के पुत्र। त्रिदेवों के अंशों से अवतरित जो #सोम , #दत्तात्रेय और #दुर्वासा मुनि के नाम से विख्यात हैं। #द्धतमहाराज की शक्तियों का जितना महिमा मंडन किया जाये उतना कम है।
जनश्रुतियों में कहा जाता है कि जब हमारे बुशैहर रियासत के राजा #केहरीसिंह मुग़ल बादशाह के दरबार दिल्ली गए थे। दिल्ली में भारत से आए सभी छोटे बड़े सभी राजा उपस्थित थे। बड़े राजाओं को आसन के साथ छतरी प्रदान की गई थी। किन्तु छोटे राजाओं की तरह राजा साहब को बैठने के लिए कुर्सी दी गई। खुले आसमान के नीचे सभा का आयोजन किया गया। राजा साहब को यह देखकर अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मन ही मन में द्धत महाराज को याद किया। नीले आकाश में एका- एक बादलों का #पिंड (ठेला) आया और उन के उपर छाया देने लगा राजा साहब कुर्सी जिदर घुमाते बादल उदर उन के उपर छाया देने लगता। ये अद्धभुत नाजारे को देख कर सभी राजा अंचभित थे #भारत खंड के सभी राजा सम्मानित दृष्टि से उन की और देखने लगे। राज्य सभा में उनका फिर बहुत सम्मान हुआ। राजा साहब के मान सम्मान के पीछे द्धत महाराज का ही आशिर्वाद था। युगों युगों से द्धत महाराज समस्त #बुशैहररियासत पर कृपा दृष्टि रखे हुए है। हरि ओम ततसत! जय हो द्धत महाराज की।।
जय श्री जाबल नारायण