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User:Pawansharma122

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Ramkahtha ke liye sampark kareमोहमाया के इस संसार में शांति को पाना है तो वह सिर्फ भगवान के चरणों में ही मिल सकती है। भगवान ने जब संसार की सृष्टि की तब मानव, दानव, ऋषि मुनि सब अपनी-अपनी आवश्यकता की वस्तु पाने श्रीनारायण के द्वार पहुंचे। जिसने जो मांगा प्रभु ने उस वस्तु को खूब लुटाया। लेकिन एक वस्तु को अपने हाथ से नीचे गिराकर पैर से छुपा लिया। लक्ष्मी माता के अलावा और कोई नहीं देख पाया। बाद में मां लक्ष्मी ने श्रीनारायण से पूछा कि भगवान आपने जो वस्तु को अपने पैर के नीचे छिपाया वह क्या है? भगवान ने अपना पैर हटाया तो वहां शांति थी, जिसे किसी ने भी नहीं मांगा था। संस्कार में सब कुछ मिल सकता है, लेकिन शांति नहीं। जो भक्त भगवान के चरणों का आश्रय लेगा, उसे ही शांति की प्राप्ति होगी।

sri ram katha पहले दिन सुनाई कथा मंगलम परिवार द्वारा जयपुर हाउस स्थित श्रीराम पार्क में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानमहोत्सव में प्रथम दिन आचार्य पवन नंदन ने अर्जुन द्वारा अश्वत्थामा का मानमर्दन, भगवान द्वारा परिक्षीत की रक्षा, भीवम महाप्रयान परिक्षीत जन्म, पाण्डवों का स्वर्गारोहण, परिक्षित द्वारा कलियुग दमन, नारद जी के पूर्वजन्म की कथा, शुकदेव चरित्र आदि का भक्ति से परिपूर्ण वर्णन किया। अतिहरि कृपा जाहि पर होई, पांव देई एहि मारग सोई दोहे का वर्णन करते हुए कहा कि दान, पुण्य, गंगास्नान, तीर्थ की इच्छा मन में होते हुए भी हर कोई इसे नहीं कर पाता। यह सब सत्कर्म व्यक्ति के चाहने से नहीं भगवान की कृपा से ही सम्भव हो पाते हैं। जिस पर भगवान की कृपा होती है उसका मुख सत्य बोलने लगता है। कान कथा सुनने लगते हैं, जीभ हरिनाम संकीर्तन करती है और पांव तीर्थयात्रा को चलते हैं। जो परमात्मा सतयुग में हजारों वर्षों की ध्यान धारणा, त्रेत्रा युग में बड़े-बड़े यज्ञ, द्वापर में परिचर्या से प्राप्त होते थे। वही परमात्मा कलियुग में केवल हरिनाम संकीर्तन और कथा श्रवण से ही प्राप्त हो जाते हैं। भगवान को प्राप्त करना सबसे सरल कलियुग में ही है। विकल्प बहुत मिलेंगे भटकाने के लिए संकल्प एक ही काफी है मंजिल तक जाने के लिए। इस लिए सत्कर्म का संकल्प लें। जैसे संकल्प और प्रयत्न वैसी ही सिद्धी। राजा परिक्षीत ने कलि को रहने के लिए जूआ, मदिरा, वेश्याचार, हिंसा व अनाचार से कमाई अर्थात दूसरों को मारकर रुलाकर कमाई गई सम्पत्ति यह पांच स्थान दिए। कलि इन पांच स्थानों पर रहता है। इसलिए जो अपना कल्याण चाहता है वह इनका सेवन न करें। कथा के साथ गोविन्द के गुण गाइये, गोपाल के गुण गाइये, द्वार मन के खोल कहिएआइये प्रभु आईये।, आज हरि आए विदुर घर पावणा... जैसे भजनों पर भक्त भक्ति में साराबोर होकर खूब जूमें।

प्रातः निकली मंगल कलश यात्रा प्रातः काल जयपुर हाउस स्थित प्राचीन चिन्ताहरण मंदिर में मंत्रोच्चारण के साथ पूजा-पाठ कर विधि विधान से मंगल कलश यात्रा का शुभारम्भ हुआ। सिर पर श्रीमद्भागवत लिए कथा के मुख्य यजमान प्रवीन अग्रवाल व रजनी अग्रवाल के साथ पूरा मंगलमय परिवार ने बैंड बाजों के भक्तिमय संगीत पर झूमते गाते हुए पूरे जयपुर हाउस का भ्रमण किया। पीताम्बर वस्त्र धारण किए सुसज्जित कलशों के साथ महिलाओं व पुरुषों ने सभी भक्तों को कथा सुनने के लिए मंत्रित किया। कभी भक्तों में श्रीमद्भागवत कथा को सुनने के लिए काफी उत्साह था। कलश यात्रा का समापन कथास्थल श्रीराम पार्क में हुआ। जहां विधि विधान के साथ कथा प्रारम्भ होने से पूर्व मंगल कलश की स्थापना की गई।

ये रहे मौजूद इस अवसर पर मुख्य रूप सेराकेश कुमार, महावीर मंगल, धनस्यामदास अग्रवाल, महेश गोयल, रूपकिशोर अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, मीरा अग्रवाल, मंजरी गोयल, मालती गोयल, रजनी गोयल, सुनीता बंसल, स्वीटी गोयल, पूनम अग्रवाल, राधा रावत, आरती सामा, विजयरानी गोयल, हेमलता गर्ग, मंजू अग्रवाल, डिम्पल अग्रवाल, ममता अग्रवाल, सुनीता गोयल, सपना जैन, नीरजा, स्नेह, विजयरानी, दिनेश बंसल, मुरारीप्रसाद अग्रवाल, खेमचंद गोयल, ओमप्रकाश गोयल, अजय गोयल, विजय कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार गर्ग, राकेश चंद जैन, हरिमोहन मित्तल, दिनेश कुमार मित्तल, संजय गोयल, मुन्नालाल बंसल, अखिल मोहन मित्तलआदि उपस्थित थीं