Jump to content

User:JayMishra1234

From Wikipedia, the free encyclopedia

इइतिहास 04/08/1998 को रामनगर मंधाना कानपुर,उत्तर प्रदेश में पैदा हुए अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही की उसके माध्यमिक विद्यालय में दाखिला लिया

जिस दिन गांधी को गोली मारी गई, उस दिन हिंदुस्तान के पाँच लाख से ज़्यादा गाँवों में चूल्हों से धुआँ नहीं उठा! नवजात पाकिस्तान में भी मातम छा गया! दोनों देशों में लोग दिल से रोये, ऐसे फूट फूट कर रोये जैसे उनके अपने बाप चले गये हों। उनकी अंतिम यात्रा में उन्हें छोड़ने आये, साथ चल रहे लोगों की गिनती दस लाख से ज़्यादा थी और पन्द्रह लाख से ज़्यादा लोग सड़क के दोनों किनारे खड़े होकर उनके प्रिय भजनों को गाते हुए आँसू बहा रहे थे!

       आज से नब्बे सौ साल पहले जब ना इंटरनेट था ना सोशल मीडिया! करोड़ों लोगों ने रेडियो और अख़बार तक नहीं देखे सुने थे! इतने बड़े देश में जहां सैकड़ों भाषाएँ और लाखों बोलियाँ बोलने वाले लोग रहते थे! उन दिनों जब एक जगह से दूसरी जगह आना जाना आज जैसा आसान नहीं था ,गांधी ने पूरे देश ,पूरी दुनिया के मानस में अपनी पक्की जगह बना ली ! उन्हें आम जनता से ऐसा प्रेम, ऐसी आत्मीयता हासिल हुई उन्हें जो देवदुर्लभ है !

        विडंबना देखिये ! जो गांधी दक्षिण अफ़्रीका में इक्कीस साल गोरों की सरकार से जूझने और सन 1915 से 1947 तक भारत में निरंकुश अंग्रेजों को चुनौती देने के बावजूद जीवित ,सकुशल बने रहे वो गांधी स्वतंत्र भारत में केवल साढ़े पाँच महीने ही साँस ले पाये! उन पर उनके ही एक देशवासी ने गोली चलाई ,जो उनसे वैचारिक रूप से सहमत नहीं था !

पर फिर एक आश्चर्य घटा!  

          सादगी, सच्चाई, सद्भाव, प्रेम, निडरता और अहिंसा के मायने सिखाने वाले गांधी मरे ही नही ! इसलिये नहीं मरे क्योंकि उनकी ज़रूरत थी दुनिया को! गांधी अब भी हर मर्ज़ की दवा है ! हर दुविधा ,हर परेशानी का हल अब भी गांधी से पूछना पड़ता है ,वे इसलिये ज़िंदा है क्योंकि दुनिया उनका मरना अफोर्ड नहीं कर सकती !

           ज़ाहिर है गांधी को मारने की कोशिश करने वाले दुनिया की समझ से तालमेल बैठा नहीं सके ! वे अब भी समझ नहीं पा रहे कि ऐसा क्या है जो ये बूढ़ा मरने का नाम ही नहीं लेता ,वे अब भी प्राण प्रण से जुटे हैं ,पर वे उसके अस्तित्व को मिटाने के जितने जतन करते हैं वो और बड़ा होता जाता है!

-  गांधी को मारने की कोशिश करने वाले हैरान हैं, और हमेशा हैरान ही बने रहेंगे !

✍️ मुकेश नेमा