User:Anisaji
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मुझे खुशियां मिली इतनी तुम्हें कैसे बताऊं मैं,
तू मेरा हो नहीं पाया मैं तेरी हो गई कैसे।
कि सच है जान लो यारों मोहब्बत थी नहीं,
उससे मोहब्बत हो गई कैसे ।
जाने कब से बैठी हूं अभी फिर से वही आकर,
तुझे देखा तो मुस्कुराई मैं फिर से वही पाकर ।
प्रेम की लहरों में खोई मौजों के सहारे से,
अब किनारे पर मिली हूँ रेत की ढेरों में आकर।
Anisa(blogs writter)
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