Jump to content

Chirja

From Wikipedia, the free encyclopedia

"Chirja" (Devanagari: चिरजा) is a devotional song in Rajasthani and Gujarati literature as a prayer to the female form of divine, Shakti. Chirja is a new poetic form in Shakti-Kavya (Shaktik poetry) in Rajasthani literature. Chirjas are primarily sung by women especially during Jagrans (night awakenings) during the worship of goddess. The word Chirja is derived from the Sanskrit term Charya.[1][2][3][4][5][6][7][8][9]

Etymology

[edit]

The word Chirja is derived from the Sanskrit term Charya.[1] The Sanskrit word 'Charya' means performance of religious rites and practices, worthy of wandering ascetics, such as meditation, penance, etc. The Prakrit lexicons cover 'conduct' and 'religiou rituals' under the meaning of the word 'Chariya'. In Rajasthani lexicons, 'Charya' stands for prayer to the goddess sung in musical modes.In the Mahayana Buddhism, 'Charya' indicates the whole range of practices observed to help achieve the ultimate goal, Nirvana. In the 'Vajrayana' branch, however, 'Charya' denotes 'Tantrika' performances when some "padas' were sung which came to be known as 'Charya pada' or 'Charyagiti'.[10]

Types

[edit]

Chirjas are of two types: Sagau Chirja and Chadau Chirja. Sagau Chirja are devotional and praise the goddess in eulogical terms while Chadau Chirja are sung in the time of need, to rescue the devotees from ailments and difficulties through divine assistance from the goddess.[11][12][10]

A large number of Chirjas have been composed mainly by the Charans, Rajputs, and Rawals. Rawals of Rajasthan are well known for utilising Chirjas in their religious performances.[13] Chirjas are popularly sung for Hindu goddesses like Avad Mata(Swangiya Mata) and Karni Mata.[14][15][10]

References

[edit]
  1. ^ a b Sāmaura, Bhaṃvara Siṃha (1999). Rājasthānī śaktti kāvya (in Hindi). Sāhitya Akādemī. ISBN 978-81-260-0625-0. शक्ति काव्य अनेक रूपों के माध्यम से अभिव्यक्त हुआ है। चिरजा नामक नया काव्य रूप शक्ति काव्य की राजस्थानी साहित्य को विशेष देन है । चिरजा शब्द संस्कृत के चर्या शब्द से बना है।
  2. ^ Singh, Amit (19 August 2018). RAJASTHAN POLICE CONSTABLE BHARTI PARIKSHA-2019-Competitive Exam Book 2021 (in Hindi). Prabhat Prakashan. ISBN 978-93-5322-612-1. चिरजा- देवी की पूजा अराधना के पद, गीत या मंत्र विशेषकर रात के जागरणों के समय महिलाओं द्वारा गाए जाते हैं इन्हें चिरजा कहा जाता है।
  3. ^ Rājasthāna kī Rammateṃ (in Hindi). Rājasthāna Saṅgīta Nāṭaka Akādamī. 2002. राजस्थानी शक्ति काव्य परम्परा को जानने वाले यह बात भलीभांति जानते हैं कि चाडाऊ चिरजा गाने का अर्थ क्या होता है। चिरजा शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'चर्या' इसलिए देवी की चिरजा का अर्थ होता है देवी द्वारा अपने भक्तों
  4. ^ Bhanawat, Mahendra (1979). Overview of the folk theatre of Rajasthan. Sangeet Natak Akademi, New Delhi. devotional songs (Charjayen)
  5. ^ Cāraṇa, Narendrasiṃha (2009). Śrīkaraṇīmātā kā itihāsa (in Hindi). Cirāga Prakāśana. ISBN 978-81-907329-9-4.
  6. ^ Cāraṇa, Sohanadāna (1980). Rājasthānī loka-sāhitya kā saiddhāntika vivecana (in Hindi). Rājasthāna Sāhitya Mandira.
  7. ^ "उमा के तप से प्रसन्न होकर शिव करते हैं आनंद तांडव | Shiva is pleased with the tapes of Uma, Anand Thandav". Patrika News (in Hindi). 16 October 2018. Retrieved 1 March 2022. संस्कृति विभाग और आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी के संयोजन से मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में शक्तिकी महिमा पर केन्द्रित तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह सिद्धा में चिरजा गायन और कथक शैली में साध्वी देवी के स्वरुप पर आधारित नृत्याभिनय की प्रस्तुतियां संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच पर हुईं।
  8. ^ "शोभायात्रा में उमड़ी श्रद्धा, बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालु | Navratri 2018". Patrika News (in Hindi). 17 October 2018. Retrieved 1 March 2022. शोभा यात्रा में बैंड बाजा की धुन पर श्रद्धालुजन करणी माता के भजन, चिरजा गाते चल रहे थे। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालु मकानों की छत पर बैठे शोभा यात्रा का इंतजार कर रहे थे। रास्ते में जगह-जगह शोभा यात्रा पर इत्र पुष्प बरसा कर स्वागत किया गया। शोभायात्रा में महिलाएं व श्रद्धालु जन करणी माता की चिरजा गाते हुए चल रहे थे।
  9. ^ Kaviyā, Alūnātha (2000). Siddha Alūnātha Kaviyā (in Hindi). Sāhitya Akādemī. ISBN 978-81-260-1015-8.
  10. ^ a b c Datta, Amaresh (1987). Encyclopaedia of Indian Literature: A-Devo. Sahitya Akademi. ISBN 978-81-260-1803-1.
  11. ^ Bhāṭī, Pushpā (1991). Rājasthāna ke loka devatā evaṃ loka sāhitya (in Hindi). Kavitā Prakāśana. सिगाऊ चरजा में देवी का चरित्र एवं प्रशंसा रहती है परन्तु घाडाऊ चरजा जब भक्त पर विपती पड़ती है तभी पढ़ी जाती हैं ।
  12. ^ Rājasthāna ke loka devatā (in Hindi). Śekhāvāṭī Śodha Pratishṭhāna. 1999. चारण देवियों की मान्यता है कि वे 'नो लख लोवड़ियाल (अर्थात् नौ लाख तार की ऊनी साड़ी) पहनती थी । इन देवियों से स्तुति पाठ चरजा कहलाती है। ये दो प्रकार की होती हैं सिंघाऊ और घाड़ाऊ । सिंघाऊ जो शांति के समय देवी की प्रशंसा से पढ़ी
  13. ^ Samar, Devilal (1967). Rājasthāna ke Rāvala (in Hindi). Bhāratīya Loka-Kalā Maṇḍala.
  14. ^ "राजस्थान की लोक देवियों और उनके प्रमुख मंदिर". Advance Study Tricks. Retrieved 1 March 2022.
  15. ^ Maru-Bhāratī (in Hindi). Biṛlā Ejyūkeśana Ṭrasṭa. 2002. ने भक्ति स्तवन साहित्य की रचनायें (स्तुतियों) एवं डिंगल गीत आदि खूब लिखे हैं। भगवती श्री इन्द्रकंवर बाई (खुड़द निवासी) द्वारा गाई गई चरजा में भक्ति के चमत्कार भरे कृत्यों का उल्लेख द्रष्टव्य है "करनल किनियांणी....... ||

Further reading

[edit]